बिना पुलिस के चलकर देखो

हरवंश राय बच्चन जी ने पुलिस को समर्पित एक कविता लिखी है पढ़ कर आपका दिल रो देगा। 


माना कि है पुलिस बुरी ,पर बिना पुलिस के रहकर देखो। 


रोकेंगे हर राह दरिंदे ,बिना पुलिस के चलकर देखो। 


कोई नहीं समय सीमा है ,न ही कोई ठिकाना है। 


जहॉं जहाँ भी पड़े ज़रूरत ,वहाँ वहाँ भी जाना है। 


दिन को ड्यूटी रात को पहरा ,एक रात तो कर के देखो। 


बिना पुलिस के चलकर देखो। 


इनका वेतन चपरासी सा,काम हमेशा करना है। 


गर्मी जाड़ा वारिष में भी ,भाग भाग कर मरना है। 


बिना पुलिस के चलकर देखो। 


छुट्टी तक को तरस रहे है ,अफसर के दरवाजे पर। 


पोस्टमार्टम इन्हें कराना ,रहते रोज जनाजे पर। 


राजनीति के हथकण्डे से ,कभी कभी तो बचकर देखो। 


बिना पुलिस के चलकर देखो। 


ये भी लाल लाड़ले माँ के,इनके भी परिवार रहे। 


होली ईद दशहरा पर भी ,इनके आंसू रोज बहे। 


बात अगर हो लाख टके की ,इनकी पीड़ा मिलकर देखो। 


बिना पुलिस के चलकर देखो। 


जयहिंद।